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Overviewअशोक अवंती में ही रम गया था। यौवन की देहली थी और महादेवी का सान्निध्य। पर मौर्य साम्राज्य को सिंहासन का उत्तराधिकारी चाहिए था। महादेवी ने अनिच्छुक अशोक को पाटलीपुत्र जाने के लिए बाध्य किया। स्वयं महेन्द्र और संघमित्रा के साथ अवंती में ही रह गयी। उसने अशोक से कहा था, पहले तुम साम्राज्य के हो फिर मेरे हो। अशोक पाटलीपुत्र गया। विविधताओं से भरे एक विशाल साम्राज्य को एक शासन सूत्र और जाति-घर्म-वर्ग से ऊपर एक दण्डसंहिता में बाँधा। अपने आदेश-संदेश कई भाषाओं में शिलालेखों में अंकित करवाये। अल्प समय में ही वह इस विशाल साम्राज्य के जनमानस का आदरणीय और आदर्श बन गया। युवराज सुशीम, राजकुमार ऋपुदमन और सुकीर्ति की असमय मृत्यु उसे उद्वेलित करती रहती थी। सारे साक्ष्य कलिंग राजसभा की ओर इंगित करते थे, विशेष कर नंदवंश के महानंद की ओर। पर उसके अशांत मन में एक सम्राट की वर्जनाओं का ढक्कन लगा हुआ था। एक उन्माद था जिसमें आगामी युद्ध की संभावना परिलक्षित थी। Full Product DetailsAuthor: Mathura KalaunyPublisher: Notion Press Imprint: Notion Press Dimensions: Width: 12.70cm , Height: 0.80cm , Length: 20.30cm Weight: 0.145kg ISBN: 9798886845693Pages: 128 Publication Date: 14 July 2022 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: In Print This item will be ordered in for you from one of our suppliers. Upon receipt, we will promptly dispatch it out to you. For in store availability, please contact us. Language: Hindi Table of ContentsReviewsAuthor InformationTab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |
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