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Overviewकर्मयोग स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित एक प्रेरणादायक पुस्तक है, जो कर्म और आध्यात्मिकता के गहन संबंध को स्पष्ट करती है। यह ग्रंथ कर्म के महत्व, उसके सही स्वरूप और उसे योग के रूप में अपनाने की विधि को सरल और प्रभावी तरीके से समझाता है। स्वामी विवेकानंद का मानना है कि कर्म न केवल जीवन का अनिवार्य हिस्सा है, बल्कि यह ईश्वर तक पहुंचने का एक साधन भी है।कर्मयोग में विवेकानंद ने यह बताया है कि स्वार्थ और फल की आसक्ति से मुक्त होकर किया गया कर्म ही सच्चा कर्मयोग है। उन्होंने इसे ""निष्काम कर्म"" का नाम दिया, जो गीता के उपदेशों पर आधारित है। उनका यह दृष्टिकोण कर्म को केवल एक दायित्व नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग मानता है।इस पुस्तक में कर्मयोग को न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक बताया गया है, बल्कि इसे समाज और मानवता की सेवा का माध्यम भी माना गया है। स्वामी विवेकानंद का यह संदेश कि ""उठो, जागो और तब तक रुको मत जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए,"" कर्मयोग की ही भावना को दर्शाता है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक है जो जीवन में कर्म और अध्यात्म का संतुलन स्थापित करना चाहता है। Full Product DetailsAuthor: Swami VivekanandPublisher: Unknown Imprint: Unknown Dimensions: Width: 14.00cm , Height: 0.60cm , Length: 21.60cm Weight: 0.132kg ISBN: 9789361912764ISBN 10: 9361912763 Pages: 106 Publication Date: 01 January 2024 Recommended Age: From 0 to 12 years Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: Available To Order ![]() We have confirmation that this item is in stock with the supplier. It will be ordered in for you and dispatched immediately. Language: Hindi Table of ContentsReviewsAuthor InformationTab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |