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Overviewकृषि का चौराहा परंपरागत खेती की चुनौतियां (जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, संसाधन क्षरण)दुनिया के इतिहास में कृषि का एक विशेष स्थान रहा है। सदियों से यही वह आधार रहा है जिसने सभ्यताओं को जन्म दिया है, उनका पोषण किया है और उन्हें फलने-फूलने का अवसर दिया है। परंपरागत खेती ने मानव जाति को जीवित रखा है, लेकिन आज यह एक चौराहे पर खड़ी है, जहां कई गंभीर चुनौतियां उसका इंतजार कर रही हैं। ये चुनौतियां इस सवाल को उठाती हैं कि क्या परंपरागत खेती का तरीका भविष्य की खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा कर सकेगा?इस चौराहे की पहली और सबसे बड़ी चुनौती है जलवायु परिवर्तन का भयानक डंका। बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, और चरम मौसमी घटनाओं का प्रकोप फसलों की पैदावार को प्रभावित कर रहा है। सूखा पड़ा तो खेत दरारें डाल देते हैं, बाढ़ आई तो फसलें पानी में डूब जाती हैं। जलवायु परिवर्तन के दबाव में परंपरागत खेती के पुराने तरीके बेअसर साबित हो रहे हैं।दूसरी बड़ी चुनौती है लगातार बढ़ती जनसंख्या। अनुमानों के मुताबिक 2050 तक दुनिया की आबादी 9.7 बिलियन तक पहुंच सकती है। इतनी बड़ी आबादी को खिलाने के लिए परंपरागत खेती पर्याप्त फसल पैदा नहीं कर सकेगी। हमें फसल की पैदावार को बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन साथ ही साथ यह भी ध्यान रखना है कि पर्यावरण का संतुलन न बिगड़े।तीसरी गंभीर चुनौती है संसाधनों का लगातार क्षरण। खेती के लिए जरूरी पानी, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता, और पोषक तत्व तेजी से घट रहे हैं। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों Full Product DetailsAuthor: Kavita SharmaPublisher: Self Publishers Imprint: Self Publishers Dimensions: Width: 15.20cm , Height: 0.40cm , Length: 22.90cm Weight: 0.122kg ISBN: 9798869091703Pages: 84 Publication Date: 17 December 2023 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: Available To Order ![]() We have confirmation that this item is in stock with the supplier. It will be ordered in for you and dispatched immediately. Table of ContentsReviewsAuthor InformationTab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |