Chitra Pratima

Author:   Gourahari Das ,  Pradip Kumar Roy
Publisher:   Black Eagle Books
ISBN:  

9781645606581


Pages:   110
Publication Date:   15 April 2025
Format:   Paperback
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चित्रप्रतिमा (नाटक) - एक संक्षिप्त परिचययह नाटक एक दो पीढ़ियों वाले एकल परिवार (micro family) की कहानी है। नाटक के पात्रों के पीढ़ीगत अंतर को प्रदर्शित करने के अलावा परिवार के भिन्न-भिन्न लोगों के बीच की मनस्तात्विक विभिन्नता तथा स्वीकार्यता को इस नाटक में अधिक तरजीह दी गई है। नाटक में कुल चार पात्र हैं - पिता, माता, बेटी और दामाद। माँ गृहिणी है। बेटी नौकरी करती है, उच्च पदासीन दामाद के साथ एक ही शहर में वह अलग रहती है। लेकिन माँ-बाप के पास वह अक्सर आती जाती रहती है। माँ के साथ गपशप के दौरान अपने पारिवारिक जीवन से संबंधित अंतरंग समस्याओं को वह साझा करती है। युक्तिपरक तर्क भी किया करती है। बात-बात पर पति के साथ उसका मन-मुटाव हो जाया करता। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर वह नाराज हो जाया करती। दरअसल अपने पिता को वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ तथा सुदर्शन पुरुष मानती है। बात-बेबात पति की तुलना वह पिता के साथ करती तथा हर बार अपने पिता की तुलना में पति उसे न्यून लगते। दामाद के साथ बेटी के इस व्यवहार का खुलासा एक दिन माँ-बाप के सामने हो जाता है। माँ चिंतित हो पड़ती है तथा अपने पति के साथ उसकी अपनी अनुभूति तथा अपने सुचिन्तित व्यवहार को बेटी के साथ साझा करते हुए उसे उपदेश दे डालती है, जो उसकी बिखरती हुई गृहस्थी को सँवार देती है। इस नाटक का सबसे शक्तिशाली पहलू है इसका संवाद। संवाद के जरिए ही कोई नाटक आगे बढ़ता है। प्रस्तुत नाटक के संवादों में गभीर और गंभीर दोनों ही आवेदनों की उपस्थिति पाठकों तथा दर्शकों को स्पर्श करेगी, ऐसी मेरी धारणा है। दूसरी बात यह है कि इस नाटक में जिस समस्या का जिक्र किया गया है वह हमारे समाज की एक ज्वलंत समकालीन समस्या है, जो आज घर-घर में व्याप्त है।

Full Product Details

Author:   Gourahari Das ,  Pradip Kumar Roy
Publisher:   Black Eagle Books
Imprint:   Black Eagle Books
Dimensions:   Width: 14.00cm , Height: 0.70cm , Length: 21.60cm
Weight:   0.136kg
ISBN:  

9781645606581


ISBN 10:   1645606589
Pages:   110
Publication Date:   15 April 2025
Audience:   General/trade ,  General
Format:   Paperback
Publisher's Status:   Active
Availability:   Available To Order   Availability explained
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Language:   Hindi

Table of Contents

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Author Information

ओड़िआ साहित्य जगत में डॉ. गौरहरि दास एक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व हैं जिनकी लेखनी को साहित्य की हर विधा में महारत हासिल है। मुख्यतः आप एक कथाकार, उपन्यासकार, स्तंभकार, अनुवादक तथा नाटककार हैं। समाज में व्याप्त अंधविश्वास तथा कुरीतियों के कारण बचपन के कुछ वर्ष आपको मठ में रहना पड़ा। बाद में उन्हीं अंधविश्वास और कुरीतियों के उन्मूलन के लिए आपने अपनी लेखनी को हथियार बनाया। ओड़िशा के सुदूर देहात में आपका बचपन बीता, जहाँ आपने अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की। आगे की पढ़ाई के लिए आप कटक आ गए। कटक के रेवेनशॉ कॉलेज से आपने स्नातक की डिग्री प्राप्त की। आपने पत्रकारिता एवं मास कम्यूनिकेशन में मास्टर्स की डिग्री हसिल की और स्वर्ण पदक से सम्मानित हुए। उत्कल विश्वविद्यालय से आप ने ओड़िआ भाषा साहित्य में स्नातकोत्तर तथा पीएचडी की डिग्री हासिल की। लगभग दो दशकों से आप ओड़िआ भाषा की लब्ध प्रतिष्ठित मासिक साहित्यिक पत्रिका 'कथा' का संपादन कर रहे हैं। आपने साहित्य की विभिन्न विधाओं पर 85 से भी अधिक किताबें लिखी हैं। ग्रामीण जीवन के अनुभवों ने लेखक के रूप में आपके कौशल को निखारा है। आपकी रचनाओं में गाँव की मिट्टी की सोंधी खुशबू आती है। आप अपनी कहानियों को नाटक के गुणों से समृद्ध एक सघन उपन्यास का घनत्व देते हैं। वर्तमान सामाजिक परिवेश के मद्देनजर आपकी कहानियाँ अधिक अर्थवान हो उठी हैं। केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार के साथ साथ राज्य के दर्जनों पुरस्कारों से आप सम्मानित किए गए हैं। आपने यशपाल, कुलदीप नायर, कृष्णा सोबती, रस्किन बॉन्ड, बेनियामिन जैसे लेखकों की कृतियों को हिन्दी में अनुवाद किया है। पंजाब एंड सिंध बैंक से सेवानिवृत बचपन से ही लेखन में आपकी रुचि रही है। कविता और कहानियाँ आप स्वांतः सुखाय लिखते थे। बैंक में कार्यरत आपने कहानियाँ और कविताएं लिखी जिसे विभिन्न अंतरबैंक प्रतियोगिताओं में सराहा गया तथा पुरस्कृत किया गया। आजकल आप ओड़िआ से हिन्दी तथा हिन्दी से ओड़िआ अनुवाद कार्य में व्यस्त हैं। आपकी कई अनूदित कहानियाँ समकालीन भारतीय साहित्य के साथ-साथ अन्य पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। हिन्दी और ओड़िआ के अलावा गुरमुखी और बांग्ला भाषा पर भी आपका पर्याप्त अधिकार है।

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