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Overviewविश्व साहित्य में भारतीय नाटकों की अपनी विशेषताएँ आकर्षण का केंद्र रहीं। बचपन से ही संस्कृत एवं तेलुगु नाटकों के प्रति एक विशेष लगाव रहा। नाटक के बारे में अज्ञात बचपन में मुझे दो संस्कृत नाटकों एवं दो अंग्रेज़ी नाटकों में विद्यालय के छात्र जीवन में अभिनय करने का मौका मिला और पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव भी । तत्पश्चात हिंदी पढ़ने का अवसर और वर्तमान पद तक की आश्चर्यजनक यात्रा। इस बीच पुनः हिंदी - तेलुगु नाटकों पर तुलनात्मक अध्ययन करने की मेरी इच्छा पूर्ण हुई। यह अध्ययन विहंगावलोकन ही बन सका। इसमें आगे अनेक दिशाओं में अध्ययन की संभावना है। तेलुगु और हिंदी नाटक साहित्य का सांगोपांग विवेचन का यहाँ अवसर नहीं मिला। डीन, UGC Affairs, उस्मानिया विश्वविद्यालय ने आर्थिक अनुदान देकर इस लघु प्रयास को सुधी पाठकों के समक्ष रखने का उत्साह प्रदान किया । अतः आपके समक्ष है । सुंदर डी. टी. पी. के लिए श्रीमती राधा के प्रति और यथासमय पुस्तकें देने के लिए कर्षक प्रिंटर्स के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ । स्वजनों के प्रति आभारी होना स्नेह का अपमान करना है। उनका स्नेह ही मेरा सम्बल रहा । यह प्रसन्नता की बात है कि कस्तूरी विजयम् प्रकाशन ने पुन इस के प्रकाशन का भार ले कर अत्यंत कम समय में पुस्तक मेरे हाथ में रख दिया। मैं सुधीर रेड्डी जी एवं पद्मजा जी को अपनी शुभकामनाएँ ही दे सकती हूँ। आप का प्रगति- पथ मंगलमय हो! पुस्तक को पाठक - मित्रों का स्नेह मिलेगा! आशा है - संत हंस गुण गहहीं पय, परिहरि वारि विकार। डॉ. पी. माणिक्याम्बा 'मणि' Full Product DetailsAuthor: Prof P Manikyamba 'Mani'Publisher: Kasturi Vijayam Imprint: Kasturi Vijayam Dimensions: Width: 15.20cm , Height: 1.00cm , Length: 22.90cm Weight: 0.249kg ISBN: 9788198710888ISBN 10: 8198710884 Pages: 180 Publication Date: 14 May 2025 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: Available To Order ![]() We have confirmation that this item is in stock with the supplier. It will be ordered in for you and dispatched immediately. Language: Hindi Table of ContentsReviewsAuthor InformationTab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |