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Overviewद्रविड़ आन्दोलन के जनक रामासामी पेरियार उन्नीसवीं सदी की परिवर्तनकामी बौद्धिक चेतना के सबसे प्रखर प्रतीकों में से हैं जिन्होंने तमिलनाडु ही नहीं बल्कि पूरे भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनैतिक परिवेश को गहरे प्रभावित किया। फुले-पेरियार-अम्बेडकर की यह धारा भारतीय समाज में व्याप्त वर्ण आधारित भेदभाव के ख़िलाफ दलितों-वंचितों के महान संघर्ष की प्रेरक धारा है। . संजय जोठे ने इस किताब में पेरियार के जीवन और विचारों को तत्कालीन तमिल एवं भारतीय समाज के आलोड़नों के परिप्रेक्ष्य में विवेचित करते हुए उन परिस्थितियों की भी बड़ी गहराई से छानबीन की है जिनमें पेरियार की विद्रोही चेतना निर्मित तथा विकसित हुई। इस क्रम में वह अतिरेकों में उलझे बिना पेरियार के जीवन की एक रोमांचक कहानी भी कहते हैं और आज के समय के लिए उनकी जरूरत और प्रासंगिकता को भी रेखांकित करते हैं।. डॉ. संजय जोठे एक स्वतन्त्र लेखक, अनुवादक एवं शोधकर्ता हैं। इन्होंने इंग्लैंड के इन्स्टिटूट ऑफ़ डेवेलपमेंट स्टडीज़, ससेक्स यूनिवर्सिटी से अन्तर्राष्ट्रीय विकास अध्ययन (इंटरनेशनल डेवलपमेंट स्टडीज) मे स्नातकोत्तर उपाधि ली है, एवं मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस से पीएच.डी. हैं। वे मूलतः मध्यप्रदेश के देवास शहर से हैं और बीते पन्द्रह सालों से सामाजिक विकास के मुद्दों पर कार्य करते रहे हैं। इसके साथ ही वे बहुजन समाज के धर्म, संस्कृति एवं राजनीति से जुड़े विषयों पर स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं। Full Product DetailsAuthor: Sanjay JothePublisher: Rajpal & Sons Imprint: Rajpal & Sons ISBN: 9789393267313ISBN 10: 9393267316 Pages: 144 Publication Date: 01 December 2022 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: In Print This item will be ordered in for you from one of our suppliers. Upon receipt, we will promptly dispatch it out to you. For in store availability, please contact us. Table of ContentsReviewsAuthor InformationTab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |
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