|
|
|||
|
||||
Overviewमेरे भीतर का मैं एक सजीव रूप से बुनी गई 21 कविताओं की संकलित पुस्तक है, जो हमारे अंतर्मन की उन संवादों को आवाज़ देती है जिनसे हम सब कभी न कभी गुज़रे हैं। प्रत्येक कविता में भावनात्मक गहराई, काव्यात्मक सूक्ष्मता और कोमल मानवीय दृष्टिकोण झलकता है। यह संग्रह उन लोगों के लिए है जिनका दिल शांत है-जो बदलाव की राह पर हैं, कोमलता की तलाश में हैं, या जीवन की भागदौड़ में अर्थ ढूंढ़ रहे हैं। सजीव चित्रात्मकता और मूक समझदारी के साथ, यह संग्रह जीवन को समझाने की नहीं, बल्कि उसे चुपचाप देखने की कोशिश है। मेरे भीतर का मैं आत्ममंथन करने वाले मनों और चिंतनशील व्यक्तित्वों के लिए एक आत्मीय साथी बन सकता है। Full Product DetailsAuthor: मुकुल कान्तPublisher: Bookleaf Publishing Imprint: Bookleaf Publishing Dimensions: Width: 12.70cm , Height: 0.30cm , Length: 20.30cm Weight: 0.064kg ISBN: 9798900818603Pages: 56 Publication Date: 30 October 2025 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: Available To Order We have confirmation that this item is in stock with the supplier. It will be ordered in for you and dispatched immediately. Language: Hindi Table of ContentsReviewsAuthor Informationमुकुल कान्त एक संवेदनशील और अंतर्मुखी कवि हैं, जो भीड़ नहीं, एकांत में सहज महसूस करते हैं। उनकी कविताएँ उनके भीतर के गहन भावों और अनकहे विचारों की अभिव्यक्ति हैं, जो आत्मा से आत्मा तक पहुँचती हैं। वे उन पाठकों से जुड़ते हैं, जो दुनिया को भीतर से महसूस करते हैं और मौन में भी गहराई से सोचते हैं। मुकुल मानते हैं कि खुद से संवाद आत्म-विकास और जीवन को समझने की चाबी है। Tab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |
||||