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Overviewकभी ऐसा लगता है कि बहुत कुछ कहना है, पर लफ़्ज़ साथ नहीं देते। कुछ एहसास दिल में कहीं रह जाते हैं - यादों में, ख़ामोशी में, या किसी शाम की चाय में। ये किताब ऐसे ही जज़्बातों का एक सफ़र है - जो दिल से निकले हैं, और दिल तक पहुँचने की चाह रखते हैं। हर नज़्म, हर कविता, एक कोशिश है उन बातों को कहने की - जो पहले भी कही गई हों, लेकिन शायद इस तरह नहीं। अगर आपने कभी ख़ुद में कुछ खोया है, या अल्फ़ाज़ में अपना अक्स ढूंढा है - तो हो सकता है ये किताब आपके लिए ही लिखी गई हो। Full Product DetailsAuthor: प्रसन्नPublisher: Bookleaf Publishing Imprint: Bookleaf Publishing Dimensions: Width: 12.70cm , Height: 0.30cm , Length: 20.30cm Weight: 0.064kg ISBN: 9789372131819ISBN 10: 9372131814 Pages: 56 Publication Date: 20 August 2025 Audience: General/trade , General Format: Paperback Publisher's Status: Active Availability: Available To Order ![]() We have confirmation that this item is in stock with the supplier. It will be ordered in for you and dispatched immediately. Language: Hindi Table of ContentsReviewsAuthor Informationप्रसन्न एक ऐसे क़लमकार हैं, जो जज़्बातों को बहुत सादगी और सच्चाई से बयान करते हैं। उनकी बातें दिल से निकलती हैं और सीधे दिल तक पहुँचती हैं। उन्होंने अकेलेपन, तलाश और अंदर की ख़ामोशियों को अपने लफ़्ज़ों में महसूस किया है। उनका मानना है कि हर किसी के अंदर कुछ अनकहे एहसास होते हैं - जो सिर्फ़ कहे जाने का इंतज़ार करते हैं। यह उनकी पहली किताब है - एक कोशिश उन लफ़्ज़ों को आवाज़ देने की, जो कभी रुक गए थे। Tab Content 6Author Website:Countries AvailableAll regions |